Tuesday 3 November 2015

अंडरवर्ल्ड से जुड़ी एक वेश्या जिसने भारतीय प्रधानमंत्री के सामने बैठ उन्हें शादी का दिया प्रस्ताव

मुंबई भारत की आर्थिक राजधानी के साथ-साथ अपराध के लिए भी कुख्यात रही है. छोटा राजन, दाउद इब्राहिम अपराधियों की लंबी सूची में कुछ ऐसे पुरूष नाम हैं जिन्होंने मुंबई के अंडरवर्ल्ड में अपनी
धाक जमाई. परंतु, मुंबई के अंडरवर्ल्ड पर केवल पुरूषों का वर्चस्व रहा है ऐसा नहीं है. एक से एक हसीन औरतों ने अंडरवर्ल्ड में अपने नाम का डंका बजाया है.

कुछ ने तो दाउद इब्राहिम जैसे कुख्यातों की सत्ता को चुनौती तक दी है. जानिए, ऐसी खूबसूरत महिला डॉन के बारे में जिन्होंने नारियों के कोमल होने की धारणाओं को अपने कारनामों से ठेंगा दिखा अंडरवर्ल्ड के इतिहास में अपनी अमिट पहचान बनाई….

जेनाबाई दारूवालीमुंबई के डोंगरी इलाके में रहने वाली जेनाबाई चावल के धंधे में नुकसान होने से दारू के धंधे में आई. डोंगरी में वह दारू का धंधा करती थी. वहाँ के सारे लोग उससे डरते थे और उसका सम्मान करते थे. बीसवीं सदी के तीसरे दशक आने तक वह डोंगरी में आज़ादी की लड़ाई में महात्मा गांधी के आंदोलन में शरीक हुई. उस दौरान किसी हिंदू को कानून या पुलिस से बचा लेने पर उसे अपने पति की मार सहनी पड़ती थी. मस्तान हैदर मिर्ज़ा जैसे खूँखार अपराधी उससे सलाह मशविरा करके ही कोई काम करता था. कुछ समय तक अपने धंधे को पुलिस की नज़रों से बचाने के लिए वह पुलिस की खबरी भी बनी.
गंगूबाई- एक लड़की को एक लड़के से प्यार हो जाता है. प्यार इस कदर परवान चढ़ता है कि वो अपने घर के ऐशो-आराम को छोड़कर अपने प्रेमी के साथ मुंबई भाग जाती है. वहाँ दोनों एक लॉज में समय बिताते हैं. परंतु, दो-तीन दिनों में ही उसका वहाँ से अपहरण कर कमाटीपुरा के कोठे पर बिठा दिया जाता है. यह किसी फिल्म की कहानी नहीं एक लड़की की असल ज़िंदगी की कहानी है. कौन जानता था कि प्यार में अपने प्रेमी से धोखा खाने वाली यह लड़की एक दिन उस कोठी की मालकिन का चुनाव जीत जाएगी और प्रधानमंत्री नेहरू के सामने बैठकर उनसे शादी करने की बात कहेगी. जी हाँ, इस लड़की के बारे में कहा जाता है कि एक बार नेहरू ने मुंबई में जिस्म बाज़ारों को हटाने के लिए चल रहे आंदोलन पर बातचीत के लिए गंगूबाई को बुलाया था.

नेहरू से बातचीत के दौरान उसने मुंबई में जिस्म-बाज़ारों को बचाए रखने के महत्व पर जोर दिया. कहा यह भी जाता है कि नेहरू ने उससे उसके धंधे में आने का कारण यह कहते हुए पूछा कि उसे अच्छी नौकरी या पति मिल सकते हैं. गंगूबाई ने बड़ी ही साफगोई से जवाब दिया कि वह यह धंधा छोड़ देगी अगर नेहरू उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार लेंगे. नेहरू जी ने इस बात के लिए उसे डाँटा. इस पर गंगूबाई ने उन्हें जवाब दिया कि मैं तो आपको बस व्यावहारिकता का बोध करा रही थी. उसने कहा कि उपदेश देना कुछ कर दिखाने से ज्यादा आसान होता है. इसके बाद वेश्याओं के विरोध में चल रहा वह आंदोलन समाप्त हो गया था.

अशरफ़ उर्फ़ सपना- जो दाउद कई व्यापारियों, कई देशों की पुलिस के लिए मुश्किलें खड़ी करता रहा उसे एक बला सी ख़ूबसूरत लड़की ने चुनौती दी जब उसे यह पता चला कि उसके पति के खून के पीछे अंडरवर्ल्ड डॉन दाउद का हाथ है. दाउद को ठिकाने लगाने के लिए उसने अपना नाम अशरफ़ से बदल कर सपना रख लिया. उसने स्वयं मार्शल आर्ट और गोली चलाने का प्रशिक्षण लिया और अपना गिरोह बनाया जिसमें वह दीदी के नाम से मशहूर थी. सपना ने दाउद को भारत बुलाने की पूरी कोशिश की. पर, जब वह इसमें सफल नहीं हुई तो उसने शारजहाँ के क्रिकेट स्टेडियम में ही दाउद को मारने की योजना बना डाली जहाँ वह खुलेआम क्रिकेट देखने आता था. परंतु, उसके गिरोह में से ही किसी ने इस बात की सूचना दाउद के दाएँ हाथ छोटा शकील को दे दी. फिर क्या था, छोटा शकील के गुर्गों ने एक रात उसके घर में घुसे. वहाँ उसे अकेला सोए पाकर उन्होंने उस पर हमला कर दिया. इस बात की मिसाल कायम करने के लिए कि दाउद के खिलाफ जाने वालों का क्या हश्र होगा उन्होंने सपना के स्तनों और गुप्तांगों पर 22 बार चाकू से हमला किया. और, इस प्रकार दाउद को चुनौती देने वाली इस लड़की की हत्या कर दी गई.

नोट : यह लेख ”मुंबई माफ़िया की हसीनाएँ” किताब पर आधारित है
यह लेख http://infotainment.jagranjunction.com से लिया गया है