Friday 6 November 2015

अश्वत्थामा शिवरात्रि को इस मंदिर में पूजा करने आता है

मध्य प्रदेश का है मंदिर
भारत में मध्यप्रदेश राज्य के बुरहानपुर शहर के पास असीरगढ़ नाम का एक किला स्थित है. यह किला अब भगवान शिव के प्राचीन मंदिर के रूप में भी जाना जाता है. लोगों की मान्यता है कि इस किले में एक गुप्तेश्वर महादेव हैं जो मंदिर में हर अमावस्या तथा पूर्णिमा की तिथियों पर अश्वत्थामा जो की शिव के ही रूद्र रूप हैं शिव की पूजा-उपासना करते हैं. लेकिन आजतक यह बात साबित नहीं हो पाई है कि यहां सचमुच अश्वत्थामा आते हैं फिर भी विभिन्न तथ्यों के आधार पर यह मान्यता बेहद प्रचलित है. ये तथ्य कई सवाल उठाते हैं और सबसे बड़ा सवाल यह है कि…
आखिर कौन करता है यहां पूजा
स्थानीय लोगों का कहना है कि भगवान 

शिव का रूप अश्वत्थामा,
जिन्हें हिंदू मान्यताओं के अनुसार अमर माना गया है, वही इस किले में स्थित मंदिर में पूजा करने आते हैं. उन्हें आजतक किसी ने नहीं देखा तो नहीं लेकिन काफी लोगों का मानना है कि वे अश्वत्थामा ही हैं जो मंदिर में हर महाशिवरात्रि को पूजा करते हैं.

काफी रोचक है यह मंदिर
मध्य प्रदेश का या मंदिर काफी प्रसिद्ध है. चारों ओर से खूबसूरत पर्वतों से घिरा यह मंदिर बेहद आकर्षक दिखता है. इस क्षेत्र में ताप्ती और नर्मदा नदी का संगम होता है. कहते हैं जो भी इस मंदिर के दर्शन करने आता है उसके मन में अध्यात्म के साथ रोमांच का भी अनुभव पैदा होता है. इस मंदिर तक पहुंचने के लिए पैदल चढ़ाई करनी पड़ती है.
प्राचीन मान्यताओं वाला यह मंदिर चारों ओर से खाई व सुरंगो से घिरा है. लोगों का मानना है कि इन्हीं सुरंगों से अश्वत्थामा मंदिर में आते-जाते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं. आजतक किसी ने उन्हें मंदिर में प्रवेश करते या मंदिर से बाहर निकलते हुए नहीं देखा है लेकिन सुबह मंदिर के पूजा स्थान पर गुलाब के फूल और कुमकुम का दिखना यह दर्शाता है कि अश्वत्थामा यहां आए थे.
मंदिर के पुजारियों का कहना है कि अश्वत्थामा पूजा करने के लिए जिस सामग्री का इस्तेमाल करते हैं उसमें गुलाब के फूल तथा कुमकुम शामिल रहता है. इतना ही नहीं, लोगों की यह भी  मानना है कि मंदिर के पास जो तालाब है वहां अश्वत्थामा स्नान करते हैं. इस तालाब को भी काफी पवित्र माना जाता है. इस तालाब में स्नान करने के बाद ही वे पूजा करने जाते हैं.
यह काफी आश्चर्यजनक बात है कि यदि वर्षों से शिव का रूप अश्वत्थामा इस मंदिर में शिव की अराधना करने पहुंचते हैं, तो वे आखिर आजतक किसी को दिखाई क्यों नहीं दिए? दरअसल इस बात को लेकर लोगों में एक भय प्रचलित है. स्थानीय लोगों का मानना है कि यदि किसी को भी शिव का रूप अश्वत्थामा दिखाई दे जाए तो तो उसकी मानसिक स्थिति बिगड़ जाती है.
इन मान्यताओं को लेकर लोगों के जेहन में एक डर है पर फिर भी इस मंदिर में बड़ी तादाद में भक्त आते हैं. हर शिवरात्री को यहां खास आयोजन किये जाते हैं. देश के कोने-कोने से लोग यहां पवित्र शिवलिंग के दर्शन को आते हैं.