Friday 6 November 2015

मृत्यु से कुछ मिनट पहले क्या सोचता है इंसान?

अकसर हमारे दिमाग में मृत्यु को लेकर अनेक तरह की धारणाएं हैं जैसे: मौत के बाद क्या होता है, मरने के बाद इंसान की आत्मा कहां जाती है, पुनर्जन्म किन परिस्थितियों में होता है इत्यादि! कई तरह के वैज्ञानिक और पौराणिक शोधों के बावजूद आज भी
इंसान उपरोक्त सवालों को लेकर असमंजस में है. खैर, यह तो मृत्यु के बाद की स्थिति है, लेकिन मृत्यु से चंद मिनट पहले भी हर किसी के अंदर यह जिज्ञासा बनी रहती है कि मरने वाला इंसान उस दौरान सोचता क्या है?
विशेषज्ञों की मानें तो स्वर्गवासी होने से पहले व्यक्ति जीवन के उन पलों को याद करता है जिसका संबंध उसके अच्छे और बुरे होने से है. ज्यादातर वह व्यक्ति अपने उन बुरे कर्मों को याद करता है जब उसने जीवन जीने के दौरान दूसरे पर किए. वहीं अगर हॉस्पिटल में काम करने वाली नर्सों की बात करें जो अकसर मृत्यु के दौरान अपने मरीजों के पास होती हैं तो व्यक्ति स्वर्गवासी होने से पहले बहुत ही शांत रहने की कोशिश करता है. उस दौरान उसका दिल बहुत ही बड़ा हो जाता है और उन सभी बातों की पोल खोलता है जिनके बारे में अब तक उसने किसी को नहीं बताया था.
यहीं नहीं वह मृत्यु से पहले खेद भी करता है कि उसने जिंदगी में वह सब चीजें क्यों नहीं किए जिसके लिए वह इस दुनिया में आया था.

सपने पूरा न होने का खेद: यह एक सामान्य तरह का खेद है जो हर कोई मरने से पहले जताता है. जब इंसान को लगता है कि उसका यह आखिरी वक्त चल रहा है तो वह उन सभी बातों को फ्लैश बैक में जाकर याद करता है जिसको उसने या तो अधूरा छोड़ दिया या फिर शुरू ही नहीं किया.

मेरी इच्छा थी कि मैं अपने परिवार के लिए कुछ कर सकता: मरने से पहले इस तरह के ख्यालात हर किसी के अंदर आते हैं खासकर पुरुषों के अंदर. क्योंकि घर की जिम्मेदारी अकसर पुरुषों के कंधों पर होती है और ज्यादातर वही अपने परिवार की अच्छी-बुरी लाइफइस्टाल के लिए उत्तरदायी होते हैं. ऐसे में यदि मरीज को लगता है कि उसने अपने परिवार के लिए कुछ नहीं किया तो वह इसके लिए खेद जताता है.
काश मुझे खुद की फीलिंग को व्यक्त करने की प्रेरणा मिल जाती: यह एक ऐसा खेद है जिसे व्यक्ति जीवित रहने के दौरान भी कई बार जता चुका होता है. जैसे काश मैं उसे अपनी फीलिंग बता देता तो आज वह मेरी होती, अपनी फीलिंग न बताने की वजह से ही मेरे दोस्तों ने मुझे गलत समझा आदि. इस तरह की फीलिंग मरने से पहले भी एक इंसान को सताती है.

काश मैं दोस्तों के साथ दोस्ती निभा सकता: इस तरह का एहसास उस व्यक्ति को सबसे ज्यादा होता है जिसने अपनी जिंदगी में अपने ही दोस्तों को मुसीबत के समय धोखा दिया हो या फिर उसने दोस्ती होने का फर्ज नहीं निभाया हो. स्वर्गवासी होने से पहले वही व्यक्ति खेद जताते हुए अपने इन्हीं दोस्तों से क्षमा मांगना चाहेगा.

काश मैं खुद को खुश रख पाता: सबकी चिंता करने के बाद अंत में मृत्यु से पहले व्यक्ति खुद के बारे में भी विचार करता है. वह सोचता है कि खुद को खुश रखने के लिए अपनी जिंदगी में उसने कुछ किया क्यों नहीं? वह क्यों पारंपरिक सोच पर कायम रहते हुए आधुनिक चीजों को दरकिनार करता रहा?