Tuesday 3 November 2015

एलियन की कहानी

फिल्मों में या कॉमिक्स की किताबों में आपने कई बार दूसरे ग्रह से आए प्राणी, जिन्हें एलियन कहा जाता है, को देखा या पढ़ा होगा. ऐसे प्राणी जो देखने
में ना तो पशु लगते हैं और ना ही इंसान लेकिन उनके हाव-भाव बिलकुल एक मनुष्य की तरह ही होते हैं. लेकिन एलियन की कहानी कोई कल्पना नहीं है. वैज्ञानिक पहले ही यह स्वीकार कर चुके हैं कि जिस तरह पृथ्वी पर इंसान बसते हैं ठीक उसी तरह दूसरे ग्रहों पर भी ऐसे लोग रहते हैं जो हमारी तरह सांस लेते हैं. इसके अलावा यूएफओ यानी उड़न तश्तरियों पर एलियन का आने-जाने जैसा विषय भी अब जिज्ञासा का केंद्र बन चुका है. अभी तक काफी लोग यह दावा कर चुके हैं कि उन्होंने आसमान में इन्हें उड़ते और एलियन को देखा है लेकिन अभी तक हम ऐसे कथनों को भ्रम या वहम ही मानते हैं.
हालांकि ऐसे जीवों को आज तक किसी ने देखा नहीं है, लेकिन दुनियां का कोई भी देश या वैज्ञानिक संगठन ऐसा नहीं है जो एलियन की अवधारणा को नकार सके. इसके विपरीत वैज्ञानिक तो यहां तक मानते हैं कि एलियन छुप-छुप कर धरती पर आते हैं और मानव जीवन पर पूरी नजर रखते हैं. इतना ही नहीं वैज्ञानिक तो यह भी मानते हैं कि तकनीक और विज्ञान की दृष्टि से दूसरे ग्रह के यह अद्भुत प्राणी पृथ्वी पर बसने वाले लोगों से कहीं आगे हैं.

एलियन का नाम सुनते ही कई ऐसे सवाल हमारे जहन में आ जाते हैं जिनका जवाब अभी तक खोजा नहीं जा सका है. हाल ही में बुल्गारिया के वैज्ञानिकों ने यह दावा किया है कि एलियन धरती पर स्वतंत्र रूप से रहते हैं और हमसे मदद की अपेक्षा रखते हैं. वह तो यहां तक कहते हैं कि एलियन हमारे चारों ओर हैं और हमारी हर हरकत पर नजर रखते हैं.

रूसी अखबार की मानें तो अमेरिका के अंतरिक्ष यात्री जब चांद पर पहुंचे थे तो उन्हें वहां एलियन दिखाई दिए थे, जिन्होंने अमेरिकियों को वहां से चले जाने को कहा था.
विदेशों में ही नहीं बल्कि भारतीय जमीन पर भी दूसरों ग्रहों से आए इन प्राणियों के चहल-कदमी के निशान पाए गए हैं. नर्मदाघाटी के प्रागैतिहासिक (पाषाण काल) शैलचित्रों के शोध में जुटे एक वैज्ञानिक दल ने रायसेन से करीब 70 किलोमीटर दूर घने जंगलों के गुफाओं समेत पत्थरों से बने ग्रहों में मिले प्राचीन शैलचित्रों के आधार पर अनुमान जताया है कि प्रदेश के इस हिस्से में दूसरे ग्रहों के प्राणी एलियन आए होंगे. वैज्ञानिकों का मानना है कि आदि मानव ने इन शैलचित्रों में उड़नतश्तरी की तस्वीर भी उकेरी हैं. अर्थात वह इस यूएफओ से भी वाकिफ थे या उन्होंने इसे देखा होगा.

फिलहाल तो उड़न तश्तरियों द्वारा पृथ्वी पर आने वाले मेहमान, जिन्हें हम एलियन कहते हैं, का मसला अत्याधिक रहस्यमयी है. वैज्ञानिक इस रहस्य को समाप्त करने की पूरी कोशिश में लगे हैं. उनका अनुमान है कि आगामी 10-15 वर्षों तक दूसरे ग्रह के इन्हीं प्राणियों से संपर्क साधकर इनसे जुड़े तमाम रहस्यों को सुलझा लिया जाएगा.